भारत में बायोमास संसाधनों का उपयोग नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लिए किस प्रकार से किया जा सकता है, और इसके विभिन्न स्रोतों (जैसे कृषि अवशेष, वन अवशेष, पशु अपशिष्ट, शहरी कचरा) की संभावनाएं और चुनौतियां क्या हैं?
भारत के विशाल बायोमास संसाधन, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करते हैं। इस प्रस्तुति में विभिन्न बायोमास स्रोतों, उनकी विशेषताओं, उपलब्धता और संभावित अनुप्रयोगों का विवरण दिया जाएगा, जो भारत के नवीकरणीय ऊर्जा परिदृश्य में उनकी भूमिका को दर्शाता है।
1. कृषिबायोमास: देशकीऊर्जाकाआधार
भारत का कृषि क्षेत्र नवीकरणीय ऊर्जा में महत्वपूर्ण योगदान देता है। विभिन्न फसल अवशेष बायोमास ऊर्जा उत्पादन के लिए एक विशाल संभावनाएं प्रदान करते हैं।
फसलअवशेष:
धानकापुआल: पारंपरिक रूप से पशुओं के चारे और बिस्तर के रूप में उपयोग किया जाता है, लेकिन अब यह बिजली उत्पादन, जैव ईंधन और बायोगैस के लिए महत्वपूर्ण है।
गेहूंकापुआल: गेहूं की फसल के बाद बचा हुआ अवशेष, बिजली उत्पादन और जैव-एथेनॉल उत्पादन के लिए उपयोगी है।
गन्नेकाबैगास: गन्ने के रस को निकालने के बाद बचा हुआ रेशेदार अवशेष, चीनी मिलों में गर्मी और बिजली उत्पादन के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
मकईकीतने: फसल कटाई के बाद बचे हुए तने पशु चारे, बिजली उत्पादन और जैव ईंधन के लिए उपयोग किए जाते हैं।
कपासकेडंठल: कपास की फसल के बाद बची हुई सामग्री, कागज उत्पादन, ऊर्जा उत्पादन, और बायोचार के लिए उपयुक्त है।
मूंगफलीकेछिलके: मूंगफली के बाहरी छिलके को बायोमास ईंधन के रूप में, पशु चारे में और बायोऑयल तथा बायोचार के स्रोत के रूप में उपयोग किया जाता है।
2. वनबायोमास: प्रकृतिसेनवीकरणीयऊर्जा
वनों से प्राप्त बायोमास, जिसमें पेड़, झाड़ियाँ और लकड़ी का कचरा शामिल है, भारत की बायोमास ऊर्जा क्षमता में एक और महत्वपूर्ण स्तंभ है।
मुख्यस्रोत:
वनअवशेष: शाखाएँ, छाल, पत्तियाँ और लकड़ी का कचरा उच्च ऊर्जा सामग्री वाले होते हैं और इन्हें ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है।
लकड़ीप्रसंस्करणअवशेष: आरा मिलों और लकड़ी उद्योगों से उत्पन्न आरा चूरा और लकड़ी के चिप्स बायोमास ऊर्जा उत्पादन में उपयोगी होते हैं।
3. शहरीऔरऔद्योगिककचरा: कचरेकोऊर्जामेंबदलना
नगर निगम ठोस कचरा और औद्योगिक अवशेष ऊर्जा उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत बनते जा रहे हैं, जिससे भारत न केवल कचरे का प्रबंधन करता है बल्कि ऊर्जा का भी उत्पादन करता है।
मुख्यस्रोत:
नगरनिगमठोसकचरा (MSW): घरों और व्यावसायिक क्षेत्रों से प्राप्त जैविक कचरा, जिसका उपयोग ऊर्जा उत्पादन में किया जाता है।
औद्योगिकअवशेष: चीनी मिलों और चावल मिलों से उत्पन्न बैगास, चावल की भूसी, और आरा चूरा बायोमास ऊर्जा के लिए उपयोगी हैं।
4. पशुअपशिष्टऔरखाद: कृषिअवशेषोंकानयादृष्टिकोण
पशु अपशिष्ट, विशेष रूप से पशुपालन से उत्पन्न, बायोमास ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
मुख्यस्रोत:
गायकागोबर: कृषि क्षेत्रों में व्यापक रूप से जैविक खाद के रूप में और ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
पोल्ट्रीअपशिष्ट: पोल्ट्री फार्मों से उत्पन्न बेडिंग सामग्री और खाद का मिश्रण, जो ऊर्जा और खाद उत्पादन के लिए उपयोगी है।
कुछ फसलों को विशेष रूप से उच्च बायोमास उत्पादन के लिए उगाया जाता है, जिनका उपयोग जैव ईंधन और बायोगैस में किया जाता है।
मुख्यस्रोत:
स्विचग्रास: उच्च बायोमास उत्पादकता वाली फसल, जिसका उपयोग सेल्युलोसिक इथेनॉल और ठोस बायोमास उत्पादन में किया जाता है।
मिसकैंथस: एक बारहमासी घास जिसे ऊर्जा उत्पादन के लिए वार्षिक रूप से काटा जाता है।
विलो (Willow): तेजी से बढ़ने वाला पौधा जिसे हर 2-3 साल में काटा जाता है और बायोमास पेलेट्स, जैव ईंधन और बायोगैस के लिए उपयोग किया जाता है।
6. जलीयबायोमास: जलस्रोतोंसेऊर्जा
जलीय बायोमास जैसे शैवाल और जलीय पौधे भविष्य के बायोमास ऊर्जा परियोजनाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
मुख्यस्रोत:
शैवाल (Algae): मीठे और खारे पानी में उगाए जाते हैं, जो जैव ईंधन उत्पादन के लिए उपयोगी होते हैं।
जलीयपौधे: जैसे समुद्री शैवाल और जलकुंभी, जिनका उपयोग बायोफ्यूल और जैविक उत्पादों में किया जाता है।
7. बायोमासईंधनोंकाविश्लेषण (सूखीसामग्रीकेआधारपर)
बायोमास ईंधन के स्रोत के आधार पर उनकी विशेषताएं भिन्न होती हैं। फसल अवशेष, वन अवशेष, और औद्योगिक कचरे से प्राप्त बायोमास के कैलोरी मूल्य और राख सामग्री के अनुसार इनके उपयोग और दक्षता का निर्धारण होता है।
8. भारतमेंबायोमासकीउपलब्धताऔरवितरण
भारत में बायोमास की उपलब्धता कृषि, वानिकी और शहरी कारकों पर निर्भर करती है, जो क्षेत्रवार भिन्न होती है:
फसलअवशेष: पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में धान के पुआल की उपलब्धता अधिक है; गेहूं के पुआल की प्रचुरता राजस्थान और हरियाणा में देखी जाती है।
वनबायोमास: मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में वन अवशेष मिलते हैं।
पशुअपशिष्ट: उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और बिहार जैसे पशुपालन समृद्ध राज्यों में पशु अपशिष्ट प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
नगरनिगमठोसकचरा: शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व के अनुसार जैविक कचरे की मात्रा अधिक होती है।
भारत की कुल ऊर्जा खपत में लगभग 32% हिस्सा बायोमास का है, और यह नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है। बायोमास से बिजली उत्पादन की संभावनाएं:
बैगास: 5,000 मेगावाट
बायोमासऊर्जा: 17,538 मेगावाट
कचरेसेऊर्जा: 2,556 मेगावाट भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता (2022 के अनुसार) लगभग 1,490,727 मेगावाट आंकी गई है।
निष्कर्ष
भारत के विविध बायोमास संसाधन—जिनमें कृषि अवशेष, वन बायोमास, पशु अपशिष्ट और ऊर्जा फसलें शामिल हैं—देश की नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान करने की अत्यधिक क्षमता रखते हैं। इन संसाधनों का उपयोग ऊर्जा सुरक्षा, स्थिरता और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।
(SOURCE: MOSPI Energy Statistics India 2023, IEABCC)
यह प्रस्तुति भारत में बायोमास को नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन के रूप में प्रदर्शित करती है और इसे स्थायी विकास और ऊर्जा उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में उजागर करती है।
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